कहानी क्या है
परिभाषा
कहानी गद्य की कथात्मक विधा है। एलेन पो – ने कहानी की भाषा इस प्रकार दी है- कहानी एक ऐसा आख्यान है जो इतना छोटा हो कि एक बैठक में पढ़ा जा सके और जो पाठक पर एक ही प्रभाव उत्पन्न करने करने के लिये लिखा गया हो।
कहानी वास्तविक जीवन की ऐसी काल्पनिक कथा है।जो छोटी होते हुए भी स्वतः पूर्ण एवं सुसंगठित।
कहानी में मानव जीवन की किसी एक घटना अथवा व्यक्तित्व के किसी एक पक्ष का मनोरम चित्रण है। उसका उद्देश्य केवल एक ही प्रभाव को उत्पन्न करना होता है।
वस्तुतः कहानी एक कथात्मक गद्य विधा है। जिसमे किसी एक घटना या जीवन के मार्मिक अंश का पूर्ण अवनति के साथ होता है।
कहानी के तत्व
कहानी के 6 तत्व होते हैं
- कथावस्तु
- चरित्र चित्रण
- संवाद योजना
- वातावरण
- भाषा शैली
- उद्देश्य
कथावस्तु
कथावस्तु के आधार पर कहानी का ढांचा खड़ा होता है कथा में तीन प्रमुख भाग होते हैं ।आरंभ चरम स्थिति तथा समापन इसका आरंभ कौतुहल पूर्ण होता है। इसके चरम स्थिति बाय बिंदु है जहां पहुंचकर कहानी द्वंद ,घटनाक्रम, उद्देश्य आदि अपने चरम पर पहुंच जाते हैं और कहानी के अंत का पाठक या तो पूर्वानुमान कर लेता है या बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा करने लगता है।
चरित्र चित्रण
कहानी में पात्रों की संख्या कम होती है। इन पात्रों का चरित्र चित्रण विविध कार्यों तथा पात्रों के कथोपकथन के माध्यम से किया जाता है। पात्रों के व्यक्तित्व का सहज विकास तथा विश्वसनीयता बहुत आवश्यक है पात्रों के चरित्र की संक्षिप्त स्पष्ट और संकेतआत्मक अभिव्यक्ति कहानी के गुण हैं।
संवाद योजना
संवाद योजना कहानी को रोचक सजीव बनाती है। संवाद छोटे होने चाहिए लंबे तथा बोझिल वाक्यों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए । संवाद भाषा स्वस्थ एवं अभिव्यंजना पूर्ण होनी चाहिए । संवादों के माध्यम से घटनाक्रम का विकास पत्रों के चरित्रों पर प्रकाश पढ़ना चाहिए।
वातावरण
कहानी की कथावस्तु किसी ना किसी देश काल से संबंध होती है। अतः देशकाल के अनुसार कहानी का वातावरण स्वभाविक होना चाहिए । कथाकार घटना पात्र प्राकृतिक सौंदर्य से संबंधित स्थानों आदि का ऐसा चित्रण करता है जो सहज होता है । तथा कहानी के प्रभावपर्ण बनाता है।
उदाहरण के लिए – उसने कहा था कहानी का आरंभ ही अमृतसर के बाजार से होता है जिसमें लहन सिंह का संपूर्ण पंजाबी परिवेश सरसता के साथ रूप हो उठता है।
भाषा शैली
कहानी की भाषा विषय एवं पात्र के अनुकूल होती है। मुसलमान पात्र उर्दू का अधिक प्रयोग करता है। तथा पंडित जी संस्कृत हिंदी अधिक बोलते हैं ।भाषा सरल चुस्त एवं छोटे-छोटे वाक्य में गठित होता है ।भाषा, भावो, द्वंद को अभिव्यक्त करने में सक्षम होना चाहिए कहानी लेखन की अनेक शैलियां हो सकती हैं। वर्णनात्मक संवादआत्मक, आत्मकथात्मक आदि शैली है।
उद्देश्य
प्रत्येक रचना में एकाधिक उद्देश्य निहित होता है । केवल मनोरंजन करना ही कहानी का उद्देश्य नहीं होता। कहानी की घटनाओं पात्र के संवादों आदि माध्यम से कहानी का समाज व्यक्ति के आचरण में सुधार लाना होता है ।सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार होता है।
कहानी के प्रकार
- घटना प्रधान ,चरित्र प्रधान, भाव प्रधान वातावरण प्रधन।
- घटना प्रधान – कहानी में घटनाओं की श्रृंखला होती है तथा किस्सा के बारे में वर्णन होता है।
- चरित्र प्रधान – कहानी में कहानी लेखन का अधिक ध्यान पात्रों के चरित्र पर ही अधिक रहता है ।उसने कहा था कहानी चरित्र प्रधान है जिसमें लहन सिंह प्रमुख कारण है।
- वातावरण प्रधान – कहानी में देशकल के चरित्र चित्रण पर ही अधिक ध्यान दिया जाता है। ऐतिहासिक कहानी कुछ इस प्रकार की होती है।
- भाव प्रधान – कहानी में घटना भाव प्रधान होता है ।संवादिया कहानी इसी प्रकार की है।
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