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काव्य तत्व किसे कहते हैं एवं इसके भेद

काव्य तत्व

आचार्य विश्वनाथ के अनुसार रसात्मक वाक्य को काव्य कहते हैं ।आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार जो उक्ति हृदय में कोई भाव जागृत कर दे या उस प्रस्तुत वस्तु या तत्व की मार्मिक भावना में लीन कर दे वह काव्य है.

पंडित जगन्नाथ के अनुसार रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द को काव्य कहते हैं.

आचार्य अरस्तु काव्य को अनुभूति और कल्पना के माध्यम से जीवन का पुणे सृजन मानते हैं। तो कभी वर्ड्सवर्थ काव्य को तीव्र मनोभाव का सहजो केंद्रक मानते हैं।

काव्य तत्त्व किसे कहते हैं। एवं इसके भेद
काव्य तत्त्व किसे कहते हैं। एवं इसके भेद

काव्य के भेद

  1. श्रव्य काव्य
  2. दृश्य काव्य

श्रव्य काव्य

जिस छंद रचना का आनंद सुनकर या पढ़कर लिया जाता है उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। उदाहरण- रामचरितमानस।

श्रव्य काव्य के दो भेद हैं

  1. प्रबंध काव्य यह श्रव्य काव्य का एक प्रमुख भेद है प्रबंध काव्य के छंद एक कथा के धागे में माले की तरह जुड़े होते हैं ।अर्थात जो रचना कथा सूत्रों के या छंदों से अच्छी तरह जुड़े होते हैं उसे प्रबंध काव्य कहते हैं।
  2. मुक्तक काव्य यह श्रव्य काव्य का एक भेद है काव्य ऐसी रचना को कहते हैं ।जिसमें कथा नहीं होती है तथा जिसके छंद अर्थ की दृष्टि से पूर्वा पर के प्रसंगों से मुक्त होते हैं स्वतंत्र होते हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार प्रबंध काव्य यदि विस्तृत वनस्थली है। तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है मुक्तक काव्य मैं किसी एक अनुभूति भाव अथवा कल्पना की अभिव्यंजना होती है।

प्रबंध काव्य तीन प्रकार के होते हैं

  1. महाकाव्य
  2. खंडकाव्य
  3. आख्यानाक नीति

महाकाव्य– महाकाव्य प्रबंध काव्य का एक भेद है। इसमें किसी महान व्यक्ति के जीवन का पूर्ण रूप से वर्णन रहता है। इसमें इतिहास पुराण प्रसिद्ध कथावस्तु होती है इसका उद्देश्य महान रहता है इसका नायक विरोधात, धीर ललित, धीर प्रशांत इसमें से कई विशेषता रखने वाला होता है। नायक का पूर्ण जीवन महाकाव्य में वर्णित होता है।

खंडकाव्य– खंडकाव्य खंड प्रबंध है इसमें जीवन के किसी एक घटना या मार्मिक अंश का पूर्णता के साथ चित्रण होता है ।खंडकाव्य जीवन का ना तो खंडित चित्र प्रस्तुत करता है। और ना ही यह महाकाव्य का खंड्या अंश मात्र है ।खंडकाव्य समग्र जीवन के सभी घटना के चित्रण की अपेक्षा उसके किसी एक पक्ष का संपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है सीमित आकार में भी पूर्णता है इसका अनिवार्य धर्म है।

आख्यनक गीत- यह एक लघु प्रबंध काव्य है इसका अर्थ कथा है ।ऐसी पदबंध रचना जिसमें एक लघु आख्यान या कथा वर्णित होता है। तथा जिसके छंदों में गीत होता है उसे आख्यान अक गीत कहते हैं।

मुक्तक काव्य के दो भेद होते हैं

पाठ्य पुस्तक- यह एकल अनुभव पर आधारित होता है अर्थात इसमें एक अनुभूति भाव अथवा कल्पना की स्थिति रहती है इसका प्रमुख विषय प्रेम नीति वैराग्य उपदेश होता है पाठ्य मुक्तक कलात्मक एवं विषय प्रधान होते हैं इसे स्वर से पढ़ा जा सकता है गाया नहीं जा सकता है जैसे कबीर के दोहे रहीम के दोहे

गेय मुक्तक- इसमें भाव एवं संगीत की प्रधानता होती है कलात्मक कि नहीं आवेग की प्रधानता होती है भावों की व्यंजना सरल भाषा शैली में होती है गेम मुक्तक प्रेम करुणा आदि भावों पर आधारित होते हैं इसमें गेयता होती है जैसे सूरदास और मीराबाई के गीत।

दृश्य काव्य

जिस गद्द रचना का आनंद देखकर सुनकर पढ़ कर लिया जाता है उसे दृश्य कब कहते हैं उदाहरण के लिए चंद्रगुप्त नाटक दृश्य काव्य के अंतर्गत नाट्य रचनाएं आती हैं जैसे नाटक ,एकांकी ,गीतिनाट्य या काव्य नाटक आदि।

 

 

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