Skip to content

छत्तीसगढ़ के मंदिर, भोरमदेव, राजिम

छत्तीसगढ़ के मंदिर , प्रमुख मंदिर

भोरमदेव मंदिर

यह मंदिर सुरम्य पहाड़ियों के बीच सुंदर सरोवर के किनारे स्थित यह एक ऐतिहासिक मंदिर है ।यह मंदिर खजुराहो एवं कोंकण  मंदिर की कला के संगम शैली से बना है

यह मंदिर शिलाओं को तराश कर नगर शैली में निर्मित है। इस मंदिर का नामकरण गोड़ देवता भोरमदेव के नाम पर हुआ है। यह मंदिर 5 फीट ऊंचे अधिष्ठान पर निर्मित है। स्वरूप की दृष्टि से इस मंदिर के तीन हिस्से हैं मंडप अंतराल एवं गर्भ ग्रह यह तीनों एक के बाद एक बने हुए हैं और यह तीनों समग्र रूप में एक अभिन्न इकाई दिखते हैं इसके तीन और उत्तर दक्षिण एवं पूर्व की ओर तीन प्रवेश द्वार हैं जहां सीढ़ियों के माध्यम से पर्यटक मंडप में एवं वहां से अंतराल में प्रवेश करते हैं।

मंडप आकार में 7 फीट लंबा एवं 40 फीट चौड़ा है इसके मध्य में चार स्तंभ एवं 12 स्तंभ है ।जो भित्तियों से सटे हुए हैं जो गर्भ ग्रह के नीचे है तथा इस में प्रवेश करने के लिए अंतराल से सीढ़ीया से नीचे उतर कर जाना होता है ।गर्भ ग्रह 9 फीट वर्गाकार प्रदक्षिणा पथ वहीं है ।

इसमें शिवलिंग स्थापित है यहां उत्तर दिशा की ओर एक प्रणाली का है जिसके माध्यम से भगवान शिव पर अर्पित जल बाहर निकलता है। गर्भगृह से लेकर बाहरी भाग तक संपूर्ण मंदिर विभिन्न प्रकार के चित्रों बेल बूटे से अलंकृत है इस मंदिर में चित्रित एवं उपलब्धता और मूर्तियों को 3 वर्गों में बांटा जा सकता है ।

प्रथम वर्ग में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं आती हैं जिनका निर्माण पूजा-अर्चना के लिए किया गया है। यह मूर्तियां मंदिर के चारों ओर उकेर कर बनाई गई हैं। द्वितीय वर्ग के अंतर्गत परिवार के देवता आते हैं जो अधिकतम बाहरी दीवारों मैं बने हैं।

भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध है। यहां महाशिवरात्रि एवं चैत्र तेरस के अवसर पर वर्ष में दो बार मेला लगता है ।इस मेले में देश-विदेश से हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। यहां प्रतिवर्ष भोरमदेव महोत्सव का भव्य आयोजन होता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *