रीतिकाल क्या है
रीतिकाल – जिस प्रकार भाषा के पश्चात व्याकरण बनता है । उसी प्रकार साहित्य निर्माण के पश्चात लक्षण ग्रंथ बनते हैं। इन्हें रीति ग्रंथ भी कहते हैं।
परिभाषा
रीति का अर्थ अर्थात रस अलंकार, गुण, ध्वनि ,नायिका भेद आदि के विवेचन की पद्धति है।
इस काल में इस पद्धति पर प्रकाश डालने वाले रीति ग्रंथों एवं इस पद्धति का आधार लेकर रचे जाने वाले रीति काव्य की प्रधानता रही है।अतः इस काल को रीति काल कहा जाता है।
वीरगाथा काल किसे कहते है परिभाषा
प्रत्येक कवि ने आचार्य बनने की लालसा से कोई ना कोई लक्षण ग्रंथ अवश्य लिखा । रीति विषय पर सर्वप्रथम कलम चलाने वाले आचार्य केशवदास थे। जिन्होंने अलंकार संप्रदाय को अपनाया था।
रीतिकाल की विशेषताएं
आचार्य प्रदर्शन की प्रवृत्ति
इस काल की प्रमुख विशेषता कहीं जा सकती है । कि इस काल के सभी कवि आचार्य पहले थे और कवि बाद में । उनकी कविता पंडित के भार से दबी हुई थी।
श्रृंगार प्रेमी
इस काल की दूसरी मुख्य प्रवृत्ति यह रही कि सभी कवियों ने श्रृंगार में अधिक रूचि दिखाई । यह श्रृंगार वर्णन अश्लील कोटी तक भी पहुंच गया था।
अलंकार प्रिय
इस काल की अलंकार या चमत्कार प्रदर्शन तीसरी मुख्य प्रवृत्ति है। अनुप्रास की छटा, यमक की झलक, श्लेष ,उत्प्रेक्षा ,उपमा आदि अलंकारों के चमत्कार से रीतिकाल की कविता अद्भुत है।
भक्ति और नीति
रीतिकाल में विभक्ति और नीति संबंधी रचनाएं मिलती है। किंतु इसमें शुद्ध भक्ति भाव नहीं है ।अपितु राधाकृष्ण सुमिरन के बहाने रीझने रिझाने जाने की कविताएं है।
डॉ नागेंद्र के अनुसार
यह भक्ति कि उनकी श्रृंगार का अंग था। जीवन की अतिशय सदस्य जब यह लोग घबरा उठते होंगे तो राधा कृष्ण का यही अनुराग धर्मवीर को आश्वासन देता होगा।
ब्रजभाषा की प्रधानता
इस काल की रचनाओं में साहित्यिक ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है। प्राकृतिक से मधुर ब्रजभाषा रीतिकाल के रंगआत्मक भाव की अभिव्यंजना से अधिक उपयुक्त थी।
लक्ष्य ग्रंथों का निर्माण
रीतिकाल में कवि कर्म के साथ ही आचार्य कार्य को भी संपादित कर रहे थे। लक्षण ग्रंथ भी लिखे गए और उनके उदाहरण स्वरूप कविताएं भी लिखी गई।
जीवन दर्शन
रीतिकाल की कविता में राष्ट्रीय भावना की अभिव्यंजना नहीं मिलती ।भोग वादी भावना मिलता है।
मुक्तक काव्य
इस काव्य की रचना इस काल की विशेष देन है। इस काल की अभिव्यंजना प्रणाली मनोरम है।
काल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएं
प्रमुख कवि
- केशवदास- रामचंद्रिका।
- मतिराम- फूल मंजरी रसराज मतिराम माधुरी ललित ललाम।
- देवदत्त- भाव विलास प्रेम चंद्रिका भवानी विलास
- पद्माकर- राम रसायन।
- सेनापति- कवित्त रत्नाकर।
- दीनदयाल गिरी
- बिहारी लाल- बिहारी सतसई।