विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध(vidyarthi aur anushasan par nibandh )
प्रस्तावना
vidyarthi aur anushasan par nibandh :-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और अनुशासन मानव जीवन का एक अंग है। मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन के नियमों का पालन करना पड़ता है। अनुशासनहीनता किसी भी समाज या मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है।
अनुशासन का अभिप्राय
विद्यार्थी शब्द की तरह अनुशासन शब्द भी दो शब्दों के योग से बना है अनु + शासन । अनु उपसर्ग का अर्थ है विशेष या अधिक अनुशासन का अर्थ हुआ विशेष अनुशासन अर्थात नियमबद्ध व नियंत्रण में रहकर कार्य करना अनुशासन कहलाता है।
अनुशासन का प्रकार
अनुशासन मुख्यतः दो प्रकार का होता है
1 – आत्म अनुशासन या स्व अनुशासन
2- बाहय अनुशासन
स्व अनुशासन से यह आशय है ,की स्वयं को नियमों में बांधना अर्थात व्यक्ति स्वयं से उन नियमों का पालन करता है ,जो उसके व्यवहार को नियंत्रित करते हैं, जबकि बाहय अनुशासन का कारण वह ,दंड तथा बाहरी दबाव आदर्श होता है। आत्म अनुशासन ही सर्वोत्तम माना जाता है। विद्यार्थी का जीवन समाज व देश की अमूल्य निधि है । भावी राष्ट्र निर्माता है विद्यार्थी अतः है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का अत्यंत महत्व है।
प्राचीन व वर्तमान युग में अनुशासन
पुरातन शिक्षा पद्धति में अनुशासन का विशिष्ट स्थान था ।आत्म संयम, आत्म दमन ,आज्ञा पालन आदि शिक्षा के आवश्यक अंग थे । मध्य युग में यह प्रवृत्ति कम होती गई और आधुनिक युग में अनुशासन की प्रवृत्ति का अंत ही हो गया है।
अनुशासन से लाभ
परिवार अनुशासन की आरंभिक पाठशाला है, किंतु अनुशासन का वास्तविक पाठ विद्यार्थी जहां सीखता है। वह स्थान है विद्यालय – अनुशासित व सुयोग्य आचरण करने वाले शिक्षकों के सानिध्य में विद्यार्थी अपना संतुलित विकास करते हैं।
विद्यालय जीवन के पश्चात जब छात्र सामाजिक जीवन में प्रवेश करता है। तो उसे अनुशासित व्यवहार की आवश्यकता होती है। किंतु आज पाश्चात्य संस्कृति के जाल में फंसा हमारा विद्यार्थी वर्ग अनुशासनहीन होता जा रहा है।
अनुशासनहीनता से हानि
वर्तमान शिक्षा पद्धति के साथ ही बेरोजगारी भविष्य की अनिश्चितता ने भ्रष्टाचार व आतंक की और उन्हें अग्रसर किया है। शिक्षकों का अनु उत्तरदाई होना ,राजनीतिज्ञों का अंधा स्वार्थ ,पारिवारिक व सामाजिक वातावरण, मनोरंजन का गिरता स्तर व सस्ता सहित आदि अनेकों कारण इसके लिए उत्तरदाई है।
vidyarthi aur anushasan par nibandh
विद्यार्थियों में बढ़ती इस अनुशासनहीनता को रोकना आवश्यक है । नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ ही साथ उनमें उत्तरदायित्व की भावना, शारीरिक परिश्रम करने के प्रति प्रेरणा और शिक्षा को रोजगार से जोड़ने की आवश्यकता है।
उपसंहार
विद्यार्थी को दी जाने वाली शिक्षा को व्यवहारिक जीवन की आवश्यकताओं से जोड़कर सरस व उद्देश्य पूर्ण बनाना होगा तभी छात्र एवं देश के प्रति जागरूक संभव होगा। व्यक्तित्व के समुचित विकास के लिए अनुशासन बहुत ही आवश्यक है। अनुशासन ही सुखी जीवन की आधारशिला है।
vidyarthi aur anushasan par nibandh