Rajan Ji Maharaj Bhajan Lyrics
1-ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो भजन लिरिक्स
ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी, सबको गले से लगाते चलो
जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला
जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभू का प्यारा
प्यार के मोती लुटाते चलो, प्रेम की गंगा…
आशा टूटी ममता रूठी छूट गया है किनारा
बंद करो मत द्वार दया का दे दो कुछ तो सहारा
दीप दया का जलाते चलो, प्रेम की गंगा…
छाई है छाओं और अंधेरा भटक गई हैं दिशाएं
मानव बन बैठा है दानव किसको व्यथा सुनाएं
धरती को स्वर्ग बनाते चलो, प्रेम की गंगा…
ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी सब को गले से लगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो …
कौन है ऊँचा कौन है नीचा सब में वो ही समाया
भेद भाव के झूठे भरम में ये मानव भरमाया
धर्म ध्वजा फहराते चलो, प्रेम की गंगा …
सारे जग के कण कण में है दिव्य अमर इक आत्मा
एक ब्रह्म है एक सत्य है एक ही है परमात्मा
प्राणों से प्राण मिलाते चलो, प्रेम की गंगा …
2- राम को मांग ले मेरे प्यारे लिरिक्स
राम को मांग ले मेरे प्यारे
उम्र भर को सहारा मिलेगा
सिर्फ इनकी शरण ही में
जिंदगी भर गुजारा मिलेगा
राम को मांग ले मेरे प्यारे
कितना दो हाथों से ले सकेगा
देने वाले की है लाख बांहें
इसकी बांह पकड़ कर तो देखो
खुशनुमा सा नजारा मिलेगा
राम को मांग ले मेरे प्यारे
खुद को तन्हा समझता है तू
कण कण में वह समाया है
दुख में आवाज देकर तो देखो
कौशल्या का दुलारा मिलेगा
राम को मांग ले मेरे प्यारे
रुप नैनो में इनको बसा लो
नाम लेते रहो चलते – फिरते
चाहे तूफां हो या भंवर हो
हर सफर में किनारा मिलेगा
राम को मांग ले मेरे प्यारे
उम्र भर को सहारा मिलेगा
3 – सीता राम सीता राम सीताराम कहिये भजन लिरिक्स
सीता राम सीता राम सीताराम कहिये,
जाहि विधि राखे राम वाही विधि रहिये ।
मुख में हो राम नाम राम सेवा हाथ में,
तू अकेला नाहिं प्यारे राम तेरे साथ में ।
विधि का विधान जान हानि लाभ सहिये,
जाहि विधि राखे राम वाही विधि रहिये ॥
किया अभिमान तो फिर मान नहीं पायेगा,
होगा प्यारे वही जो श्री रामजी को भायेगा ।
फल आशा त्याग शुभ काम करते रहिये,
जाहि विधि राखे राम वाही विधि रहिये ॥
ज़िन्दगी की डोर सौंप हाथ दीनानाथ के,
महलों मे राखे चाहे झोंपड़ी मे वास दे ।
धन्यवाद निर्विवाद राम राम कहिये,
जाहि विधि राखे राम वाही विधि रहिये ॥
आशा एक रामजी से दूजी आशा छोड़ दे,
नाता एक रामजी से दूजे नाते तोड़ दे ।
साधु संग राम रंग अंग अंग रंगिये,
काम रस त्याग प्यारे राम रस पगिये ॥
4 – हरी नाम नहीं तो जीना क्या लिरिक्स
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय रस पीना क्या
काल सदा अपने रस डोले,
ना जाने कब सर चढ़ बोले।
हर का नाम जपो निसवासर,
इसमें बरस महीना क्या॥
भूषन से सब अंग सजावे,
रसना पर हरी नाम ना लावे।
देह पड़ी रह जावे यही पर,
फिर कुंडल और नगीना क्या॥
तीरथ है हरी नाम तुम्हारा,
फिर क्यूँ फिरता मारा मारा।
अंत समय हरी नाम ना आवे,
फिर काशी और मदीना क्या॥
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय रस पीना क्या।